Skip to main content

गुरु या दीर्घ वर्ण

जिनके बोलने में कम समय लगता है,लघु या ह्रस्व वर्ण कहलाते हैं।
यथा -अ,इ, उ,ऋ , चन्द्र बिंदु( ँ) तथा इनके युक्त व्यंजन यथा-प,पि, पु, पृ,तथा पँ। इसका चिन्ह (l) खड़ी लकीर है।
जिनके बोलने में लघु वर्णों की अपेक्षा अधिक समय लगता है,वे गुरु या दीर्घ वर्ण कहलाते है।
यथा- आ,ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ, अनुस्वार(अं) और विसर्ग(:) तथा इनके युक्त व्यंजन यथा- पा, पी, पू, पे, पै, पो, पौ,पं, प:। इनका चिन्ह (s)है।

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

उत्तरवर्ती या अनुवर्ती संख्याएँ

किसी प्राकृतिक संख्या से ढीक अगली प्राकृतिक संख्या उसकी उत्तरवर्ती या अनुवर्ती होती है। किसी भी प्राकृतिक संख्या में 1 जोड़कर उससे अगली अर्थात उत्तरवर्ती या अनुवर्ती स...

थार्नडाइक का प्रयोग

थार्नडाइक ने अपना प्रयोग भूखी बिल्ली पर किया। बिल्ली को कुछ समय तक भूखा रखने के बाद एक पिंजरे(बॉक्स) में बन्ध कर दिया। जिसे  "पज़ल बॉक्स"(Pazzle Box) कहते हैं। पिंजरे के बाहर भोजन के रू...

उपमा अलंकार के अंग

उपमा अलंकार के चार अंग है:- 1)- उपमेय :-जिसका वर्णन हो या उपमा दी जाए। 2)- उपमान :- जिससे तुलना की जाए। 3)- वाचक शब्द :- समानता बताने वाले शब्द। जैसे-सा, सम, सी, ज्यो, तुल्य आदि। 4)- साधरण धर्म :-उप...