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पूर्ण संख्या किसे कहते हैं?

0,1,2,3,4,..............पूर्ण संख्याएं हैं। 0 सबसे छोटी पूर्ण संख्या है।
चूँकि प्रत्येक पूर्ण संख्या से बड़ी पूर्ण संख्याएँ होती हैं, अतः कोई भी पूर्ण संख्या सबसे बड़ी पूर्ण संख्या नहीं होती है।
प्रत्येक प्राकृतिक संख्या पूर्ण संख्या होती है।

Comments

  1. Acha hai aur details Btaiye

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  2. Replies
    1. प्राकृतिक संख्याओं के साथ 0 को सम्मिलित करने पर पूर्ण संख्या प्राप्त होती है

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  3. Details me sari jankari Hindi me padhe www.wikigyani.in

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  4. Thanks for this purn sankhaya 😍

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  5. 0 se chhoti purd sankhya nhi hoti

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  6. 0 प्राकृतिक संख्या है कि नहीं

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उत्तरवर्ती या अनुवर्ती संख्याएँ

किसी प्राकृतिक संख्या से ढीक अगली प्राकृतिक संख्या उसकी उत्तरवर्ती या अनुवर्ती होती है। किसी भी प्राकृतिक संख्या में 1 जोड़कर उससे अगली अर्थात उत्तरवर्ती या अनुवर्ती संख्या प्राप्त की जा सकती है। उदाहरण - संख्या 15 की उत्तरवर्ती 15+1 =16                         17 की उत्तरवर्ती 17+1 =18

उपमा अलंकार के अंग

उपमा अलंकार के चार अंग है:- 1)- उपमेय :-जिसका वर्णन हो या उपमा दी जाए। 2)- उपमान :- जिससे तुलना की जाए। 3)- वाचक शब्द :- समानता बताने वाले शब्द। जैसे-सा, सम, सी, ज्यो, तुल्य आदि। 4)- साधरण धर्म :-उपमेय और उपमान के समान धर्म को व्यक्त करने वाले शब्द। उदाहरण :- "बढ़ते नद सा वह लहर गया " यहाँ राणा प्रताप का घोडा चेतक(वह) उपमेय है, बढ़ता हुआ नद ( उपमान) सा ( समानता वाचक शब्द या पद ) लहर गया(सामान धर्म)। उपमा अलंकार दो प्रकार के होते हैं:- 1)- पुणोर्पमा अलंकार -जहाँ उपमा अलंकार के चारों अंग विधमान होते हैं, वहाँ पुणोर्पमा अलंकार होता है। जैसे :-"मुख चन्द्रमा के समान सुन्दर है"। इस वाक्य में उपमा के चारों अंग विधमान हैं। 2)- लुप्तोपमा अलंकार - जहाँ उपमेय, उपमान, वाचक और साधारण धर्म में से कोई एक भी लुप्त हो जाय, वहाँ लुप्तोपमा अलंकार होता है। जैसे :- "मुख चन्द्रमा के समान है।" इस वाक्य में ' साधारण धर्म' 'सुन्दर' लुप्त है।

कर्म के आधार पर क्रिया

कर्म के आधार पर क्रिया के दो भेद हैं। (1) अकर्मक क्रिया (2) सकर्मक क्रिया (1) अकर्मक क्रिया-जिन क्रियाओं का फल सीधा कर्ता पर ही पड़े वे अकर्मक क्रिया कहलाती हैं । ऐसी अकर्मक क्रियाओं को कर्म की आवश्यकता नहीं होती । अकर्मक क्रियाओं के उदाहरण- (i) गौरव रोता है । (ii) साँप रेंगता है । (iii) रेलगाड़ी चलती है । (2) सकर्मक क्रिया-जिन क्रियाओं का फल (कर्ता को छोड़कर) कर्म पर पड़ता है वे सकर्मक क्रिया कहलाती हैं। इन क्रियाओं में कर्म का होना आवश्यक हैं । जैसे- (i) भँवरा फूलों का रस पीता है । (ii) रमेश मिठाई खाता है ।