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बाल विकास में वंशानुक्रम एवं वातावरण का प्रभाव


बालक के विकास को 'वंशानुक्रम' एवं 'वातावरण' प्रभावित करते हैं। वंशानुक्रम - बा लक का विकास वंशानुक्रम से उपलब्ध गुण एवं क्षमताओं पर निर्भर रहता है। गर्भधारण करने के बाद ही बालक में पैतृक कोशो का आरंभ हो जाता है तथा यही से बालक की वृद्धि एवं विकास की सीमाएं सुनिश्चित हो जाती हैं। ये पैतृक गुण पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित होते रहते हैं। बालक के कद ,आकृति, बुद्धि ,चरित्र आदि को भी वंशानुक्रम संबंधी विशेषताए प्रभावित करती हैं। अनुसंधानों के आधार पे देखा गया है कि चरित्रहीन माता-पिता के बालक चरित्रहीन ही होते हैं।


वातावरण- वातावरण भी बालक के विकास को प्रभावित करने वाला तत्व है। वातावरण के फलस्वरूप व्यक्ति में अनेक विशेषताओ का विकास होता है। शैशवावस्था से ही बालक को वातावरण प्रभावित करने लगता है। बालक के जीवन दर्शन एवं शैली का स्वरूप, विद्यालय, समाज ,पड़ोस तथा परिवार के प्रभाव परिणामस्वरूप ही स्पष्ट होता है।
जेम्स ड्रेवर - "शारीरिक तथा मानसिक विशेषताओ का माता-पिता से संतानो में हस्तांतरण होना वंशानुक्रम है।"

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