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प्रेरणार्थक क्रिया

जिस क्रिया से पता चले कि कर्ता स्वयं कार्य को न करके किसी अन्य को उस कार्य को करने की प्रेरणा देता है वह प्रेरणार्थक क्रिया कहलाती है।

ऐसी क्रियाओं के दो कर्ता होते हैं-

(1) प्रेरक कर्ता- प्रेरणा प्रदान करने वाला।

(2) प्रेरित कर्ता- प्रेरणा लेने वाला।

जैसे- मोहन राधा से पत्र लिखवाता है ।

इसमें वास्तव में पत्र तो राधा लिखती है, लेकिन उसको लिखने की प्रेरणा देता है मोहन । अतः ‘लिखवाना’ क्रिया प्रेरणार्थक क्रिया है । इस वाक्य में मोहन प्रेरक कर्ता है और राधा प्रेरित कर्ता।

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