जिन छंदों की रचना मात्राओं की गणना के आधार पर होती है, उन्हें मात्रिक छंद कहते हैं।
जैसे- दोहा, चौपाई, रोला आदि।
मात्रिक छंद तीन प्रकार के होते हैं:-
1)- सममात्रिक छंद-जहाँ छंदों में सभी चरण समान होते हैं, उसे सममात्रिक छंद कहते हैं।
उदाहरण:-
"मुझे नहीं ज्ञात कि मैं कहाँ हूँ
प्रभो! यहाँ हूँ अथवा वहाँ हूँ।"
इसमें 11-11 मात्राएँ हैं।
2)- अर्धमात्रिक छंद-जिसमे पहला और तीसरा चरण एक समान हो तथा दूसरा और चौथा चरण उनसे भिन्न हों किन्तु आपस में समान हों, उसे अर्धमात्रिक छंद कहते हैं।
जैसे-दोहा छंद।
3)- विषम मात्रिक छंद-जहाँ चरणों में दो चरण अधिक समान न हों , उसे विषम मात्रिक छंद कहते हैं। ऐसे छंद प्रचलन में कम हैं।
जैसे- छप्पय छंद।
छंद के बारे में बढ़िया जानकारी दी सर धन्यवाद
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