Skip to main content

अपवर्तक

अपवर्तक - कोई संख्या जिन जिन संख्याओं से पूरी- पूरी  विभाजित हो जाती है, वे संख्याये उस संख्या की अपवर्तक कहलाती हैं।
जैसे-
     2 के अपवर्तक - 1'2
     6 के अपवर्तक- 1,2,3,6
     15 के अपवर्तक - 1,3,5,15
     69 के अपवर्तक- 1,3,23,69
महत्वपूर्ण बिंदु-

(1) 1 प्रत्येक संख्या का अपवर्तक है।
(2) प्रत्येक संख्या स्वयं का अपवर्तक होती है।

(3) किसी संख्या का प्रत्येक अपवर्तक उस संख्या का एक  पूर्ण विभाजक है।

(4) किसी दी हुई संख्या के अपवर्तको की संख्या परिमित (सिमित) होती है।

(5) किसी संख्या का प्रत्येक अपवर्तक उस संख्या से छोटा या उसके बराबर होता है।

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

उत्तरवर्ती या अनुवर्ती संख्याएँ

किसी प्राकृतिक संख्या से ढीक अगली प्राकृतिक संख्या उसकी उत्तरवर्ती या अनुवर्ती होती है। किसी भी प्राकृतिक संख्या में 1 जोड़कर उससे अगली अर्थात उत्तरवर्ती या अनुवर्ती संख्या प्राप्त की जा सकती है। उदाहरण - संख्या 15 की उत्तरवर्ती 15+1 =16                         17 की उत्तरवर्ती 17+1 =18

कर्म के आधार पर क्रिया

कर्म के आधार पर क्रिया के दो भेद हैं। (1) अकर्मक क्रिया (2) सकर्मक क्रिया (1) अकर्मक क्रिया-जिन क्रियाओं का फल सीधा कर्ता पर ही पड़े वे अकर्मक क्रिया कहलाती हैं । ऐसी अकर्मक क्रियाओं को कर्म की आवश्यकता नहीं होती । अकर्मक क्रियाओं के उदाहरण- (i) गौरव रोता है । (ii) साँप रेंगता है । (iii) रेलगाड़ी चलती है । (2) सकर्मक क्रिया-जिन क्रियाओं का फल (कर्ता को छोड़कर) कर्म पर पड़ता है वे सकर्मक क्रिया कहलाती हैं। इन क्रियाओं में कर्म का होना आवश्यक हैं । जैसे- (i) भँवरा फूलों का रस पीता है । (ii) रमेश मिठाई खाता है ।

थार्नडाइक का प्रयोग

थार्नडाइक ने अपना प्रयोग भूखी बिल्ली पर किया। बिल्ली को कुछ समय तक भूखा रखने के बाद एक पिंजरे(बॉक्स) में बन्ध कर दिया। जिसे  "पज़ल बॉक्स"(Pazzle Box) कहते हैं। पिंजरे के बाहर भोजन के रूप में थार्नडाइक ने मछली का टुकड़ा रख दिया। पिंजरे के अन्दर एक लिवर(बटन) लगा हुआ था जिसे दबाने से पिंजरे का दरवाज़ा खुल जाता था। भूखी बिल्ली ने भोजन (मछली का टुकड़ा) को प्राप्त करने  व  पिंजरे से बाहर निकलने के लिए अनेक त्रुटिपूर्ण प्रयास किए। बिल्ली के लिए भोजन   उद्दीपक का  काम कर  रहा था ओर उद्दीपक के कारण बिल्ली प्रतिक्रिया कर रही थी।उसने अनेक प्रकार  से बाहर निकलने  का प्रयत्न  किया।एक बार संयोग से उसके पंजे से लिवर दब गया। लिवर दबने से पिंजरे  का दरवाज़ा खुल गया ओर भूखी बिल्ली ने पिंजरे से बाहर निकलकर भोजन को खाकर अपनी  भूख को शान्त किया। थार्नडाइक ने इस प्रयोग को बार- बार  दोहराया। तथा देखा कि प्रत्येक बार बिल्ली को बाहर  निकलने में पिछली बार से कम समय  लगा ओर  कुछ समय बाद बिल्ली बिना किसी भी प्रकार की भूल  के एक ही प्रयास में पिंजरे का दरवाज़ा  खोलना सीख गई। इस प्रकार उद्दीपक ओर अनुक्रिय