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भ्रांतिमान अलंकार

जब उपमेय में उपमान का आभास हो तब भ्रम या भ्रान्तिमान अलंकार होता है।

उदाहरण:-
"नाक का मोती अधर की कांति से,
बीज दाड़िम का समझ कर भ्रान्ति से
देखता ही रह गया शुक मौन है,
सोचता है अन्य शुक यह कौन है।"

Comments

  1. Udhahran ka arth bhi sat me bata dena

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    1. नायिका के अधर की कांति यानी चमक उसके (तोते जैसी) नाक के मोती पर पड़ रही है, जिससे तोता उसे दूसरे तोते के मुँह में अनार का दाना समझकर भ्रमित होकर मौन रह जाता है और मन ही मन सोचता है कि यह दूसरा तोता कौन है और कहाँ से आ गया?
      इस तरह नाक (उपमेय, यानी जिसकी उपमा देनी है) में तोते (उपमान, यानी जिस चीज से उपमा देनी है) और नाक के मोती (उपमेय) में अनार के दाने (उपमान) का भ्रम (भ्रांति) होने के कारण यहाँ भ्रांतिमान अलंकार है|

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