Skip to main content

भ्रांतिमान अलंकार

जब उपमेय में उपमान का आभास हो तब भ्रम या भ्रान्तिमान अलंकार होता है।

उदाहरण:-
"नाक का मोती अधर की कांति से,
बीज दाड़िम का समझ कर भ्रान्ति से
देखता ही रह गया शुक मौन है,
सोचता है अन्य शुक यह कौन है।"

Comments

  1. Udhahran ka arth bhi sat me bata dena

    ReplyDelete
    Replies
    1. नायिका के अधर की कांति यानी चमक उसके (तोते जैसी) नाक के मोती पर पड़ रही है, जिससे तोता उसे दूसरे तोते के मुँह में अनार का दाना समझकर भ्रमित होकर मौन रह जाता है और मन ही मन सोचता है कि यह दूसरा तोता कौन है और कहाँ से आ गया?
      इस तरह नाक (उपमेय, यानी जिसकी उपमा देनी है) में तोते (उपमान, यानी जिस चीज से उपमा देनी है) और नाक के मोती (उपमेय) में अनार के दाने (उपमान) का भ्रम (भ्रांति) होने के कारण यहाँ भ्रांतिमान अलंकार है|

      Delete

Post a Comment

Popular posts from this blog

उत्तरवर्ती या अनुवर्ती संख्याएँ

किसी प्राकृतिक संख्या से ढीक अगली प्राकृतिक संख्या उसकी उत्तरवर्ती या अनुवर्ती होती है। किसी भी प्राकृतिक संख्या में 1 जोड़कर उससे अगली अर्थात उत्तरवर्ती या अनुवर्ती स...

उपमा अलंकार के अंग

उपमा अलंकार के चार अंग है:- 1)- उपमेय :-जिसका वर्णन हो या उपमा दी जाए। 2)- उपमान :- जिससे तुलना की जाए। 3)- वाचक शब्द :- समानता बताने वाले शब्द। जैसे-सा, सम, सी, ज्यो, तुल्य आदि। 4)- साधरण धर्म :-उप...

थार्नडाइक का प्रयोग

थार्नडाइक ने अपना प्रयोग भूखी बिल्ली पर किया। बिल्ली को कुछ समय तक भूखा रखने के बाद एक पिंजरे(बॉक्स) में बन्ध कर दिया। जिसे  "पज़ल बॉक्स"(Pazzle Box) कहते हैं। पिंजरे के बाहर भोजन के रू...