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रूपक अलंकार

जहाँ उपमान और उपमेय के भेद को समाप्त कर उन्हें एक कर दिया जाय, वहाँ रूपक अलंकार होता है।
इसके लिए निम्न बातों की आवश्यकता है:-
1)-उपमेय को उपमान का रूप देना ।
2)-वाचक शब्द का लोप होना।
3)-उपमेय का भी साथ में वर्णन होना।
उदहारण:-
"उदित उदय गिरि मंच पर, रघुवर बाल पतंग।
विगसे संत-सरोज सब, हरषे लोचन भृंग।।"

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