Skip to main content

रूपक अलंकार

जहाँ उपमान और उपमेय के भेद को समाप्त कर उन्हें एक कर दिया जाय, वहाँ रूपक अलंकार होता है।
इसके लिए निम्न बातों की आवश्यकता है:-
1)-उपमेय को उपमान का रूप देना ।
2)-वाचक शब्द का लोप होना।
3)-उपमेय का भी साथ में वर्णन होना।
उदहारण:-
"उदित उदय गिरि मंच पर, रघुवर बाल पतंग।
विगसे संत-सरोज सब, हरषे लोचन भृंग।।"

Comments

Popular posts from this blog

उत्तरवर्ती या अनुवर्ती संख्याएँ

किसी प्राकृतिक संख्या से ढीक अगली प्राकृतिक संख्या उसकी उत्तरवर्ती या अनुवर्ती होती है। किसी भी प्राकृतिक संख्या में 1 जोड़कर उससे अगली अर्थात उत्तरवर्ती या अनुवर्ती स...

थार्नडाइक का प्रयोग

थार्नडाइक ने अपना प्रयोग भूखी बिल्ली पर किया। बिल्ली को कुछ समय तक भूखा रखने के बाद एक पिंजरे(बॉक्स) में बन्ध कर दिया। जिसे  "पज़ल बॉक्स"(Pazzle Box) कहते हैं। पिंजरे के बाहर भोजन के रू...

उपमा अलंकार के अंग

उपमा अलंकार के चार अंग है:- 1)- उपमेय :-जिसका वर्णन हो या उपमा दी जाए। 2)- उपमान :- जिससे तुलना की जाए। 3)- वाचक शब्द :- समानता बताने वाले शब्द। जैसे-सा, सम, सी, ज्यो, तुल्य आदि। 4)- साधरण धर्म :-उप...