शरीर रचना सिद्धान्त : इस सिद्धान्त के प्रवर्तक शैल्डन थे। इन्होंने शारीरिक गठन व शरीर रचना के आधार पर व्यक्तित्व की व्याख्या करने का प्रयास किया। यह शरीर रचना व व्यक्तित्व के गुणों के बीच घनिष्ठ संबंध मानते हैं। इन्होंने शारीरिक गठन के आधार पर व्यक्तियों को तीन भागों- गोलाकृति, आयताकृति, और लंबाकृति में विभक्त किया। गोलाकृति वाले प्रायः भोजन प्रिय, आराम पसंद, शौकीन मिजाज, परंपरावादी, सहनशील, सामाजिक तथा हँसमुख प्रकृति के होते हैं। आयताकृति वाले प्रायः रोमांचप्रिय, प्रभुत्ववादी, जोशीले, उद्देश्य केंद्रित तथा क्रोधी प्रकृति के होते हैं। लम्बाकृति वाले प्रायः गुमसुम, एकांतप्रिय अल्पनिद्रा वाले, एकाकी, जल्दी थक जाने वाले तथा निष्ठुर प्रकृति के होते हैं।
किसी प्राकृतिक संख्या से ढीक अगली प्राकृतिक संख्या उसकी उत्तरवर्ती या अनुवर्ती होती है। किसी भी प्राकृतिक संख्या में 1 जोड़कर उससे अगली अर्थात उत्तरवर्ती या अनुवर्ती संख्या प्राप्त की जा सकती है। उदाहरण - संख्या 15 की उत्तरवर्ती 15+1 =16 17 की उत्तरवर्ती 17+1 =18
Comments
Post a Comment