हुए शिक्षा देनी चाहिए। यह तभी संभव होगा जब शिक्षक को शिक्षा मनोविज्ञान की जानकारी होगी।
शिक्षण का मुख्य केंद्र बालक है। बालक की रूचि, शारीरिक क्षमता, बौद्धिक क्षमता, व्यक्तित्व आदि को मद्देनजर रखते
स्किनर के अनुसार- "शिक्षा मनोविज्ञान अध्यापकों की तैयारी की आधारशिला है।"
अतः शिक्षक के लिए शिक्षा मनोविज्ञान की निम्नलिखित उपयोगिताएँ है-
1. स्वयं की योग्यता का ज्ञान एवं तैयारी।
2. बाल विकास की अवस्थाओं का ज्ञान।
3. बाल स्वभाव व व्यवहार का ज्ञान।
4. बालको की क्षमता व रूचि का ज्ञान।
5. बालको की अवश्यक्ताओ का ज्ञान।
6. बालको के चरित्र निर्माण में सहायक।
7. बालको की व्यक्तिगत विभिन्नताओं का ज्ञान।
8. बालको के सर्वांगीण विकास में सहायक।
9. बालको की मूल प्रवत्तियो का ज्ञान।
10. कक्षा की समस्याओ का समाधान।
11. अनुशासन में सहायक।
12. उपयोगी पाठ्यक्रम के निर्माण में सहायक।
13. यथोचित शिक्षण विधियों के प्रयोग का ज्ञान।
14. मूल्यांकन की नई विधियों का प्रयोग।
इस प्रकार मनोविज्ञान का ज्ञान ही शिक्षक की सफलता का रहस्य है। इस ज्ञान की प्राप्ति के बिना उसे असफलता और अकुशलता के बीच अपने व्यावसायिक जीवन की यात्रा करनी पड़ती है। इसलिए शिक्षक अपने कर्त्तव्यों और दायित्वों का पालन करने में हर समय मनोविज्ञान से सहायता और मार्गदर्शन प्राप्त करता है।
भाई मुझे मनोविज्ञान बहुत पसन्द है
ReplyDeleteमुझे तुम्हारी मदद चाहिए plz plz plz plz plz big brother help me
My whatsapp no is +91 7891322893
ReplyDeleteमेरा comment पढ़ते। ही तुम मुझे whatspp message करना
भाई मुझे मनोविज्ञान बहुत पसन्द है
ReplyDeleteमुझे तुम्हारी मदद चाहिए plz plz plz plz plz big brother help me
Education psychology ka pura note chahiye
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