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व्यक्तित्व मापन के सिद्धांत

TRICK-"विकट में जागो आम व्यक्ति हमें माँगना है मन से और शरीर से"
Note : शब्दो  का विग्रह/विच्छेद करने पर पहला शब्द व्यक्तित्व मापन के सिद्धान्त का नाम तथा दूसरा शब्द उस सिद्धान्त के प्रतिपादक/प्रवर्तक/मनोवैज्ञानिक का नाम है।

ट्रिक का विस्तृत्व रुप :
1. वि+कट = विशेषक सिद्धान्त-कैटल
में-silent
2. जा+गो = जिव सिद्धांत-गोल्डस्टीन
3. आ+म = आत्मज्ञान का सिद्धान्त-मास्लो
4. व्यक्ति = व्यक्ति अर्थात यह ट्रिक्स "व्यक्तित्व मापन  के सिद्धान्त" की है।

5. ह+में = हार्मिक सिद्धान्त-मैक्डूगल
6. माँगना+है = माँग सिद्धान्त-हेनरी मुरे
7. मन+से = मनोविश्लेषणात्मक सिद्धान्त-सिंगमंड फ्रायड
और-silent
8. शरीर+से = शरीर रचना सिद्धान्त-शैल्डन

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उत्तरवर्ती या अनुवर्ती संख्याएँ

किसी प्राकृतिक संख्या से ढीक अगली प्राकृतिक संख्या उसकी उत्तरवर्ती या अनुवर्ती होती है। किसी भी प्राकृतिक संख्या में 1 जोड़कर उससे अगली अर्थात उत्तरवर्ती या अनुवर्ती संख्या प्राप्त की जा सकती है। उदाहरण - संख्या 15 की उत्तरवर्ती 15+1 =16                         17 की उत्तरवर्ती 17+1 =18

कर्म के आधार पर क्रिया

कर्म के आधार पर क्रिया के दो भेद हैं। (1) अकर्मक क्रिया (2) सकर्मक क्रिया (1) अकर्मक क्रिया-जिन क्रियाओं का फल सीधा कर्ता पर ही पड़े वे अकर्मक क्रिया कहलाती हैं । ऐसी अकर्मक क्रियाओं को कर्म की आवश्यकता नहीं होती । अकर्मक क्रियाओं के उदाहरण- (i) गौरव रोता है । (ii) साँप रेंगता है । (iii) रेलगाड़ी चलती है । (2) सकर्मक क्रिया-जिन क्रियाओं का फल (कर्ता को छोड़कर) कर्म पर पड़ता है वे सकर्मक क्रिया कहलाती हैं। इन क्रियाओं में कर्म का होना आवश्यक हैं । जैसे- (i) भँवरा फूलों का रस पीता है । (ii) रमेश मिठाई खाता है ।

गण किसे कहते है?

वर्णिक छंदों की गणना 'गण' के क्रमानुसार की जाती है। तीन वर्णों का एक गण होता है। गणों की संख्या आठ होती है। जैसे :- यगण, तगण, लगण, रगण, जगण, भगण, नगण और सगण। गुणसूत्र:- " यमाताराजभानसलगा " जिस गण को जानना हो उस गण के पहले अक्षर को लेकर आगे के फ़ो अक्षरों को मिलाकर वह गण बन जाता है। जैसे :- यमाता में l S S लघु गुरु गुरु यगण