1. वंशानुक्रम का प्रभाव : व्यक्तित्व के विकास पर वंशानुक्रम का प्रभाव सर्वाधिक और अनिवार्यतः पड़ता है। स्किनर व हैरिमैन का मत है कि- "मनुष्य का व्यक्तित्व स्वाभाविक विकास का परिणाम नहीं है। उसे अपने माता-पिता से कुछ निश्चित शारीरिक, मानसिक, संवेगात्मक और व्यावसायिक शक्तियाँ प्राप्त होती हैं।"
2. सामाजिक वातावरण का प्रभाव : बालक जन्म के समय मानव-पशु होता है। उसमें सामाजिक वातावरण के सम्पर्क से परिवर्तन होता है। वह भाष, रहन-सहन का ढंग, खान-पान का तरीका, व्यवहार, धार्मिक व नैतिक विचार आदि समाज से प्राप्त करता है। समाज उसके व्यक्तित्व का निर्माण करता है। अतः बालकों को आदर्श नागरिक बनाने का उत्तरदायित्व समाज का होता है।
3. परिवार का प्रभाव : व्यक्तित्व के निर्माण का कार्य परिवार में आरम्भ होता है, जो समाज द्वारा पूरा किया जाता है। परिवार में प्रेम, सुरक्षा और स्वतंत्रता के वातावरण से बालक में साहस, स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता आदि गुणों का विकास होता है। कठोर व्यवहार से वह कायर और असत्यभाषी बन जाता है।
4. सांस्कृतिक वातावरण का प्रभाव : समाज व्यक्ति का निर्माण करता है, तो संस्कृति उसके स्वरुप को निश्चित करती है। मनुष्य जिस संस्कृति में जन्म लेता है, उसी के अनुरूप उसका व्यक्तित्व होता है।
5. विद्यालय का प्रभाव : पाठ्यक्रम, अनुशासन , खेलकूद, शिक्षक का व्यवहार, सहपाठी आदि का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष प्रभाव व्यक्तित्व के विकास पर पडता है। विद्यालय में प्रतिकूल वातावरण मिलने पर बालक कुंठित और विकृत हो जाता है।
6. संवेगात्मक विकास : अनुकूल वातावरण में रहकर बालक संवेगों पर नियंत्रण रखना सीखता है। संवेगात्मक असंतुलन की स्थिति में बालक का व्यक्तित्व कुंठित हो जाता है। इसलिए वांछित व्यक्तित्व के लिए संवेगात्मक स्थिरता को पहली प्राथमिकता दी जाती है।
7. मानसिक योग्यता व रूचि का प्रभाव : व्यक्ति की जिस क्षेत्र में रूचि होती है, वह उसी में सफलता पा सकता है और सफलता के अनुपात में ही व्यक्तित्व का विकास होता है। अधिक मानसिक योग्यता वाला बालक सहज ही अपने व्यवहारों को समाज के आदर्शों के अनुकूल बना देता है।
8. शारीरिक प्रभाव : अन्तः स्त्रावी ग्रंथियाँ, नलिका विहीन ग्रंथियाँ, शारीरिक रसायन, शारीरिक रचना आदि व्यक्तित्व को प्रभावित करते है। शारीर की दैहिक दशा, मस्तिष्क के कार्य पर प्रभाव डालने के कारण व्यक्ति के व्यवहार और व्यक्तित्व को प्रभावित करती है। इनके अलावा बालक की मित्र-मण्डली और पड़ोस भी उसके व्यक्तित्व को प्रभावित करते है।
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